Archive for the ‘પ્રદિપજી’ Category
सीसक रही गांधीकी धरती – प्रदीपजी
April 29, 2011
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सीसक रही गांधीकी धरती…
टूट पडी बिजली सपनों पर, हुई भाग्य पर धाता,
आज आंखमें आंसु लेकर बैठा हे गुजरात…
सबके घरमें सूरज हे चमका, अपने घरमें रात,
आज आंखमें आंसु लेकर बैठा हे गुजरात…
किसे दिखाये दिलका छाला, कोई न दर्द समजनेवाला…
आज आंखमें आंसु लेकर बैठा हे गुजरात…
हरकत हे केवल, उपदेशक की हर बात,
आज आंखमें आंसु लेकर बैठा हे गुजरात…
कौन हरे अब दुःख हमारे, दूर खडे ‘जनता के प्यारे’…
आज आंखमें आंसु लेकर बैठा हे गुजरात…
सीसक रही गांधीकी धरती, बिगड गई हर बात,
आज आंखमें आंसु लेकर बैठा हे गुजरात…
ઉપરોક્ત કવિતા ૧૯૫૬ માં પ્રદિપજીઓ ગુજરાતની હાલત જોઈને લખેલી… આજના દિવ્યભાસ્કરમાં વાંચ્યું…
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